अलिखित...

लिखने

और कुछ न लिखने

के बीच

फर्क सिर्फ

कह देने

और

न कह देने सा है

कुछ

जो सोचा गया

कभी

कहा नहीं गया

कुछ

जो मन में चला

कभी

लिखा नहीं गया

कुछ

सोच कर भी

अनकहा रहा

कुछ

जान कर भी

अलिखित है

आज तक....

टिप्पणियाँ

  1. जो कुछ भी अलिखित है वह अवचेतन मे एकत्रित रहता है और समय आने पर ही बाहर आता है वह भी सायास ।

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