आतंक का फिर हमला


देश के दिल दिल्ली अब दिल की मरीज़ हो चली है। आज दोपहर २:१५ से २:३० के बीच दिल्ली के पुराने और मशहूर इलाके महरौली में दो संदिग्ध विस्फोट हुए जिसमे अब तक प्राप्त सूचनाओं के अनुसार ४-५ लोगों की मौत हो चुकी है जबकि असली आंकडा अभी आना बाकी है। ज्ञात हो कि कुतुबमीनार के लिए मशहूर इलाके महरौली के फूल बाज़ार के इलाके में यह धमाका हुआ। यह धमाके इस मायने में खतरनाक संकेत देते हैं कि पुलिस और सरकार ने पिछली १३ सितम्बर को हुए धमाको के बाद बड़े बड़े दावे कर डाले थे। हाल ही में आतंकियों ने अनेक ई मेल भी की जिनमे तमाम तरह की धमकियां दी गई और पुलिस ने सतर्कता भी बढ़ा दी पर नतीजे सिफर ही रहे और आज फिर ये घटना हुई।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार स्कूटर सवार दो युवकों ने एक झोले में यह विस्फोटक फूल बाज़ार की सड़क पर फेंका और वहाँ से चले गए, उनको लोगों ने यह कह कर आवाज़ भी दी कि शायद उनका कोई सामान गिर गया हो पर जब तक लोग कुछ समझ पाते ...... चारों तरफ़ लाशें, घायल और खून बिखरा पड़ा था। बताया जाता है कि उस बैग को एक बच्चे ने उठाया और उसके साथ ही उस बैग में धमाका हो गया और उस बच्चे के चीथड़े उड़ गए। अभी तक ४ लोगों की मौत की ख़बर है जिसमे दो बच्चे हैं।
सवाल आतंकियों से है जो अपने आपको दहशतगर्द की जगह मुजाहिद्दीन कहते हैं ..... कि धर्म की लड़ाई में बेगुनाहों की जान लेने पर क्या कोई धर्म माफ़ करता है ?
सवाल सरकार से है जो शायद सुरक्षा से ज्यादा मुआवजा देने में तत्परता दिखाती है......कि आख़िर उसकी कोई जवाबदेही है या नहीं ?
सवाल हम सबसे है कि हम अपने समाज और अपने मुल्क को लेकर कितने संवेदनशील हैं ....... क्या अब हमें सड़कों पर नहीं उतर आना चाहिए ?
दुष्यंत कुमार ने जैसा कहा....
पक चुकी हैं आदतें बातों से सर होंगी नहीं
कोई हंगामा करो ऐसे गुज़र होगी नहीं


अब वक़्त आ गया है कि हम सोचना शुरू करें ...... नेताओं से उम्मीद ना करें, अपने अपने स्तर पर आतंक के ख़िलाफ़ लड़ाई जारी रखें....सडकों पर तमाशबीन बनने की जगह सडको पर जुटना शुरू करें ...... ???

टिप्पणियाँ

  1. आप सही कह रहे हैं।हमनॆ ्भी यह खबर अभी सुनी है।

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  2. बड़ा ही दुखद समाचार है .
    सरकार द्वारा आतंकवादी के प्रति ऐसे ही लचीला रुख अपनाया जाता रहेगा तब तक निर्दोष लोगो आतंकवादी घटनाओं मैं अपनी जान गवांते रहेंगे और आतंकवादियों के होसले बढ़ते रहेंगे .

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  3. १.यूं लगा कि कोई नस्लें जगा रहा है
    संवेदनाओं की फसलें उगा रहा है
    २.ये न समझो भग रहा है, नागरिक तो जग रहा है,
    यूं मुझे क्यूँ लग रहा है ,खून में वोह पग रहा है ,
    ३.उम्मीदे सुरक्षा सरकार से असर होगी नहीं
    बिना उतरे सडकों पर अब बसर होगी नहीं
    जारी रखें....

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